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आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत कब है? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

Arti Tripathi नई दिल्ली, एजेंसी/लाइव हिन्दुस्तान टीम
Sat, 29 Jun 2024, 12:15:AM
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Pradosh Vrat July 2024 : शिव की आराधना के लिए प्रदोष व्रत और सावन का महीना बेहद खास माना गया है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महिलाएं प्रदोष व्रत रखती हैं और इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। परिवार के सदस्यों पर भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत 3 जुलाई को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस माह के पहले प्रदोष व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व...

कब है आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत ?

दृक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 जुलाई को सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर होगी और 4 जुलाई को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 3 जुलाई को पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। वहीं, आषाढ़ माह का दूसरा प्रदोष 18 जुलाई 2024 को पड़ेगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त : प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में शिव-गौरी के पूजन का बड़ा महत्व है। इस दिन शाम 07 बजकर 23 मिनट से लेकर शाम 09 बजकर 24 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त बन रहा है।

पूजन सामग्री : प्रदोष व्रत की पूजा में सफेद चंदन, इत्र, जनेऊ अक्षत, पीला और लाल चंदन, कपूर, धूपबत्ती, बेलपत्र, शिव चालीसा, पंचमेवा, घंटा, शंख,हवन सामग्री,देशी घी,दक्षिणा, मिठाई, मां पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री,कलावा, फल, फूल और मौली-रौली पूजन सामग्री में जरूर शामिल करें।

बुध प्रदोष की पूजाविधि :

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें।

स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।

घर के मंदिर की अच्छे से सफाई कर लें।

पूजा की सभी सामग्री एकत्रित करें।

एक छोटी चौकी पर शिव-परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।

फिर शिवजी को धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

शिवलिंग पर कच्चा दूध और गंगाजल से जलाभिषेक करें।

इसके बाद सायंकाल में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।

शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।

शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, धतुरा, आक के फूल और भस्म चढ़ाएं।

इसके बाद शिवजी के बीज मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का 108 बार जाप करें।

शिवचालीसा का पाठ करें और अंत में शिव-गौरी समेत सभी देव-देवताओं की आरती उतारें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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