मॉनसून की दस्तक देने के साथ ही आसमान से आफत की बारिश भी शुरू हो गई है। हरिद्वार में शनिवार दोपहर को बारिश के बाद यात्रियों और लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गई। शहरभर में बारिश आफत बनकर बरसी। हरिद्वार में शनिवार दोपहर बाद बारिश आफत बनकर बरसी।
खड़खड़ी श्मशान घाट के पास सूखी नदी में एकाएक आई बाढ़ से छह कारें बहकर 50 मीटर दूर गंगा (गंगनहर) में जा पहुंचीं। दो कारें जहां बहते हुए हरकी पैड़ी के पास कांगड़ा पुल पर अटक गईं। वहीं चार कारें खड़खड़ी से बहते हुए ढाई किमी दूर डामकोठी जा पहुंचीं और यहां मलबे में धंस गईं।
हादसे के वक्त कारों में कोई भी सवार नहीं था। हरिद्वार में खड़खड़ी श्मशान घाट के पास सूखी नदी है। अक्सर इसमें पानी नहीं रहता है। सिर्फ बरसात में पानी आता है। खड़खड़ी श्मशान घाट पर दाह संस्कार में आने वाले लोग सूखी नदी में वाहनों खड़ा कर देते हैं। शनिवार को भी यहां कई वाहन खड़े थे।
दोपहर 3 बजे बाद एकाएक तेज बारिश के कारण सूखी नदी उफान पर आ गई। नदी में पानी के साथ मलबा भी बहकर आने लगा। देखते ही देखते यह पानी छह कारों को बहाकर हरकी पैड़ी पर आने वाली गंगा की जलधारा में ले गया।
कारें नाव की तरह गंगा में तैरती नजर आईं। तीर्थयात्री और स्थानीय लोग नदी किनारे व पुलों पर खड़े होकर मोबाइल फोन से बहती कारों के वीडियो बनाने लगे। मलबे में फंसी कारों को निकाला जा रहा है। पुलिस के अनुसार, पांच वाहन मालिकों ने संपर्क किया है। इनमें तीन वाहन हरियाणा के यात्रियों के हैं।
जबकि दो कारें देहरादून नंबर की हैं। इनके मालिक देहरादून निवासी राजपाल सिंह बिष्ट और अमीन सिंह हैं। एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई। उन्होंने कार निकालने का प्रयास किया, लेकिन मलबे में धंसी होने से नहीं निकाला जा सका। दूसरी ओर बारिश से उत्तरी हरिद्वार में भारी जलभराव हो गया। पानी लोगों के घरों और दुकानों में घुस गया।
कनखल और ज्वालापुर में भी जलभराव
बारिश के कारण कनखल और ज्वालापुर में भी सड़कों पर जलभराव की समस्या बन गई। लोग सड़कों पर जलभराव से होकर गुजरने को मजबूर रहे। बारिश बंद होने के एक घंटे बाद सड़कों पर जमा पानी की निकासी हुई। इस दौरान दुकानों के आगे कूड़ा और कीचड़ जमा हो गया। बारिश रुकने के बाद दुकानदारों ने दुकानों के आगे जमा हुए कूड़े और कीचड़ को साफ किया।
मंदिर में फंसे दो सौ श्रद्धालुओं को निकाला
हरिद्वार के रानीपुर क्षेत्र में सुरेश्वरी देवी मंदिर में भंडारे में पहुंचे दो सौ श्रद्धालु नदी का जलस्तर बढ़ने पर बीच में फंस गए। जल पुलिस के जवानों ने बोट की मदद से श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला। वहीं, रपटे पर खड़ी एक गाड़ी भी तेज बहाव में बह गई।
पुलिस के मुताबिक, शनिवार को सुरेश्वरी देवी मंदिर में भंडारा था। जिसमें हरिद्वार, ज्वालापुर, कनखल के अलावा सहारनपुर आदि जगहों से भी श्रद्धालु पहुंचे थे। उसी दौरान तेज बारिश हो गई। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के चलते तेज पानी बहकर मंदिर से कुछ दूरी पर बने रपटे पर आ गया। इससे श्रद्धालु मंदिर परिसर में ही फंस गए।
कई घंटे बाद भी जब रपटे पर पानी का बहाव कम नहीं हुआ तो मंदिर समिति ने पुलिस को सूचना दी। रानीपुर कोतवाली प्रभारी विजय सिंह, एसएसआई नितिन चौहान सहित पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और जल पुलिस को बुलाया।
वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। जल पुलिस की टीम ने राफ्ट की मदद से श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला। पुलिस व जल पुलिस के अलावा वन रेंजर विजेंद्र दत्त तिवारी, मंदिर समिति के मंत्री आशीष मारवाड़ी, अभिनव आदि ने भी रेस्क्यू में मदद की।
अधिकारियों के दावों की खुली पोल
हरिद्वार। नालों की सफाई करने की बात कह कर जिम्मेदार अधिकारी इस बार मानसून सीजन में जलभराव नहीं होने का दावा करते रहे। लेकिन मानसून की पहली और दूसरी बारिश में सड़के जलमग्न हो गई। शनिवार को स्थिति ज्यादा खराब रही। पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लोग धर्मनगरी में जलभराव की समस्या से जूझ रहे है। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने समाधान के लिए कोई काम नहीं किया।