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बिना प्रचार-प्रचारक मायावती का हाथी पूर्वांचल में चलता रहा अपनी चाल, बसपा का बटन दबाने नहीं गए वोटर

मायावती ने बिना प्रचारक और प्रचार के चुनाव लड़ा। पूर्वांचल में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सिर्फ तीन जनसभाएं कीं। प्रचार के दौरान पार्टी के कोआर्डिनेटर भी नहीं दिखाई पड़े। वोटर भी वोट देने नहीं पहुंचे।

बिना प्रचार-प्रचारक मायावती का हाथी पूर्वांचल में चलता रहा अपनी चाल, बसपा का बटन दबाने नहीं गए वोटर
Srishti Kunjसुधीर ओझा,बलियाThu, 06 Jun 2024 11:41 AM
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पूर्वांचल के जिलों में एक कहावत बहुत चर्चित है-‘हाथी घूमे गांव-गांव, जिसका हाथी उसका नांव (नाम)।’ यह कहावत पूर्वांचल की सियासत में बसपा के चुनाव निशान ‘हाथी’ पर फिट बैठती है। बसपा ने इस लोकसभा चुनाव में अधिसंख्य सीटों पर न बड़े स्तर पर प्रचार किया, न जनसभाएं कीं और न ही अपने प्रचारकों को उतारा, फिर भी मतदान के दिन बैलेट पर मौजूद ‘हाथी’ अपनी चाल चलता रहा।

बिना किसी शोर-शराबे के बसपा के कोर वोटर बूथों पर गए और ‘हाथी’ का बटन दबाकर लौट आए। नतीजा यह कि एक-दो को छोड़कर पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों ने एक से डेढ़ लाख वोट हासिल कर लिए हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा ने सपा के साथ लड़ा था। पूर्वांचल में बसपा को चार सीटों पर जीत भी मिली थी। सपा के खाते में एक सीट आई थी। इस बार बसपा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा। पूर्वांचल की 13 सीटों में कहीं भी उसे जीत नहीं मिली। कुछ सीटों को छोड़ दें तो बसपा दमदारी से चुनाव लड़ती भी नहीं दिखी। 

बड़ी जनसभाओं के नाम पर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने सिर्फ मऊ, मिर्जापुर और सोनभद्र में सभाएं कीं। उनके अलावा कोई अन्य नेता, यहां तक कि जोन कोआर्डिनेटर आदि भी सक्रिय नहीं दिखे। किसी तरह की सोशल इंजीनियरिंग भी बनती नजर नहीं आई। इसके बावजूद ‘हाथी’ ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। साबित किया कि वह चाहे जिस हालत में भी रहे, उसके ‘कोर वोटर’ उसके साथ अब भी उसी शिद्दत से जुड़े हैं। 

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पार्टी ने 13 लोकसभा सीटों पर कुल 18 लाख 56 हजार 438 वोट हथिया लिए। सियासत के जानकार डॉ. अखिलेश सिन्हा कहते हैं, यदि बसपा ने पुराने अंदाज में सामाजिक समीकरणों को साधा होता और पूरा जोर लगाया होता तो आंकड़े बदल भी सकते थे। चूंकि पूर्वांचल में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान सपा-कांग्रेस गठबंधन पर ही रहा, लिहाजा उसको निराशा हाथ लगी।

किस सीट पर बसपा को कितने वोट मिले
लोस सीट बसपा को मिले मत

राबर्ट्सगंज 118778
मछलीशहर 157291
लालगंज 210053
घोसी 209404
आजमगढ़ 179839
चंदौली 159903
गाजीपुर 164964
जौनपुर 157137
मिर्जापुर 144446
सलेमपुर 80599
वाराणसी 33766
बलिया 85205
भदोही 155053

भाजपा की हार का कारण बनी बसपा
बसपा ने कई सीटों पर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। पूर्वांचल की घोसी सीट पर बसपा उम्मीदवार बालकृष्ण चौहान को दो लाख से अधिक वोट मिले। चौहान वोटों को सहेजने की गरज से भाजपा ने दारा सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी मंत्री पद से नवाजा था। अन्य क्षेत्रों में चौहान वोट भाजपा के साथ जाते दिखे भी लेकिन घोसी में वह बालकृष्ण चौहान के रहे। यहां भाजपा की सहयोगी सुभासपा को 1.62 लाख वोटों से हार मिली है। इसके अलावा सलेमपुर में भाजपा को महज तीन-चार हजार वोटों से हार मिली। यहां बसपा को 80 हजार से अधिक वोट मिले हैं। गाजीपुर, लालगंज और चंदौली में भी बसपा ने काफी हद तक भाजपा का खेल बिगाड़ दिया।