सफरे हज के दौरान अपने सामान के साथ अराकीन ए हज कफन भी साथ लेकर चलते हैं...जी हां कफन...इस एहसास के साथ कि अगर इस लंबे सफर के दौरान मौत का फरिश्ता आ गया तो..अल्लाह के घर के करीब दफन होने का मौका मिल जाएगा..हम जन्नती हो जाएंगे..दरअसल सफरे हज में शहीद होने वाले की लाश उसके वतन नहीं लाई जाती है...इसकी वजह सऊदी हुकूमत के साथ पहले से ही किया गया एक करार नामा है.जिसे हर आजमीन को करना होता है....
बरेली में दिन दहाड़े दो ग्रुपों में फायरिंग