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Hindi News मौसमपश्चिम भारत में 123 साल बाद जून में पड़ी इतनी गर्मी, हीट वेव्स ने सताया; मौसम विभाग ने बताया बारिश का क्या हाल

पश्चिम भारत में 123 साल बाद जून में पड़ी इतनी गर्मी, हीट वेव्स ने सताया; मौसम विभाग ने बताया बारिश का क्या हाल

IMD Warmest June: उत्तर-पश्चिम भारत में वर्ष 1901 के बाद से इस साल का जून माह अब तक का सर्वाधिक गर्म महीना रहा और हीट वेव्स चलीं। आईएमडी ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसके चलते बारिश पर भी असर पड़ा।

पश्चिम भारत में 123 साल बाद जून में पड़ी इतनी गर्मी, हीट वेव्स ने सताया; मौसम विभाग ने बताया बारिश का क्या हाल
Deepakलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 02 Jul 2024 08:35 AM
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IMD Warmest June: उत्तर-पश्चिम भारत में वर्ष 1901 के बाद से इस साल का जून माह अब तक का सर्वाधिक गर्म महीना रहा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को यह जानकारी दी। विभाग ने बताया कि इस मौसम में भारत में कुल 536 दिन हीट वेव्स दर्ज की गई, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक दिन हैं। इसके अलावा जून के महीने में भारत में सामान्य से कम बारिश हुई। इसमें 11 फीसदी की गिरावट आई है, जो कि पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा है। इस साल जून में मात्र 147.2 एमएम बारिश हुई जो कि सामान्य बरसात 165.3 एमएम से कम रही। 2001 से अब तक यह सातवां सबसे कम बारिश वाला जून का महीना है। 

जून में गर्मी का ऐसा रहा हाल
महापात्र के मुताबिक देश में जून में 181 दिन हीट वेव्स दर्ज की गईं, जो 2010 में 177 दिनों के बाद सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि साल 2024 की गर्मियों में भारत में कुल 536 दिन हीट वेव्स दर्ज की गई, जो 2010 (578 दिन) के बाद सबसे अधिक होंगे। जून में 181 दिन हीट वेव्स चली, जो 2010 (177 दिन) से अधिक है। देश के सभी राज्यों में जितने दिन हीट वेव्स चलती है, उन्हें मिलाकर मौसम के हीट वेव्स के दिनों की गणना की जाती है। मौसम विभाग के अनुसार, जून महीने में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उत्तर-पश्चिम भारत में जून के महीने का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक 38.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आईएमडी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक 25.44 डिग्री सेल्सियस रहा। आईएमडी प्रमुख ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.65 डिग्री सेल्सियस अधिक है और यह वर्ष 1901 के बाद से सबसे अधिक है।

33 फीसदी कम हुई बरसात
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में जून के महीने में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई, जिसका कारण देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मानसून के धीमी गति से आगे बढ़ना रहा। उन्होंने बताया कि जून के अंत में सिर्फ एक कम दबाव वाला क्षेत्र बना। आम तौर पर महीने में तीन कम दबाव वाले क्षेत्र बनते हैं। मौसम परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने के कारण कम दबाव वाले क्षेत्र नहीं बन सके। अधिकारी ने बताया कि 10 से 19 जून की अवधि के दौरान सक्रिय पश्चिमी विक्षोभों की अनुपस्थिति के कारण उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में लंबे समय तक मौसम शुष्क रहा और लू चली। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में केवल तीन पश्चिमी विक्षोभ (पांच से 10 जून, 19 से 25 जून और 26 से 28 जून) देखे गए, जबकि सामान्य तौर पर चार से पांच पश्चिमी विक्षोभ होते हैं। आईएमडी चीफ के मुताबिक जल्द शुरुआत के बाद मॉनसून की रफ्तार सुस्त पड़ गई। इसके चलते पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में देरी से बारिश हुई। इसके चलते उत्तर पश्चिमी भारत में हीटवेव बढ़ीं। 

आगे का क्या हाल
मृत्युंजय महापात्र ने बताया बताया कि 11 जून से 27 जून के बीच 16 दिनों तक देश में सामान्य से कम बारिश हुई। गौरतलब है कि आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में मॉनसून के दौरान औसत से बेहतर बारिश की संभावना जताई थी। फिलहाल की बात करें तो उत्तर पूर्व भारत में सामान्य से कम बारिश का अनुमान है। इसके अलावा उत्तर पश्चिम में सामान्य और मध्य व दक्षिणी भारत में सामान्य से अधिक बरसात का अनुमान है। भारत का कोर मॉनसून जोन, जहां कृषि के लिए बारिश पर निर्भरता है, वहां इस सीजन में सामान्य से अधिक बरसात की प्रेडिक्शन की गई है। भारत में खेती के लिए मॉनसून बेहद अहम है क्योंकि 52 फीसदी इलाका इस पर निर्भर करता है। फिलहाल की बात करें तो मॉनसून को कमजोर करने वाला और भारत में सूखे के लिए जिम्मेदार अल नीनो कंडीशंस हावी हैं। वहीं, वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि अधिक बारिश लाने वाला अल नीनो अगस्त-सितंबर में असर दिखाएगा।