बिहार के पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर फिलहाल में बीजेपी का कब्जा रहा है। मालूम हो कि इस सीट को पहले मोतिहारी लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। अब इसे पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट कहा जाता है। चंपारण के परिसीमन के बाद साल 2008 में पूर्वी चंपारण वजूद में आया। इसके बाद 2009 और 2014 में लगातार मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने इस लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। जबकि परिसीमन से पहले यह सीट मोतिहारी के नाम से जानी जाती थी। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह इस सीट से (परिसीमन के पहले और बाद) में अब तक पांच बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में हुए हैं और यहां तीनों बार बीजेपी ने फतह हासिल की। यह वही पूर्वी चंपारण है जहां से अंग्रेजों के खिलाफ किसानों ने नील की खेती के विरोध में आंदोलन किया था, महात्मा गांधी के कदम यहां पड़े थे। तब 1952 से लेकर 1972 तक हुए पांच चुनावों में कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन फिर हवा बदली और साल 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल की। जनता पार्टी के ठाकुर रामापति सिंह ने इस सीट पर चुनाव जीत कर कांग्रेस का राज खत्म किया। फिर 1980 में यहां से सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर जीते। इस सीट पर समय-समय पर चुनावी गणित बदलता रहा। गौरतलब है कि पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर 16 लाख से ज्यादा वोटर हैं जिसमें से 8.5 लाख के लगभग पुरुष और लगभग 7.5 लाख महिला मतदाता हैं। ऐसे में इस सीट पर महिला वोटरों का भी अच्छा खासा दबदबा रहा है। और पढ़ें