देश का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की मुख्य लोकसभा सीटों में एक नाम इंदौर का भी शामिल है। साल 1989 से इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है। आजादी के बाद इस सीट पर सबसे पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में हुआ था। तब कांग्रेस की जीत हुई। इसके बाद 1957 में भी कांग्रेस ने ही यहां से जीत हासिल की। 1962 के आम चुनावों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 1989 से पहले तक इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस ने ही जीत हासिल की। सुमित्रा महाजन ने साल 1989 में इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2014 तक वो इस सीट पर जीत हासिल करती रहीं। सुमित्रा महाजन की लगातार 8 बार की जीत के चलते ये सीट बीजेपी का मजबूढ़ गढ़ बन गई। हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा लेकिन उन्हें मिलने वाले समर्थन का का फायदा बीजेपी उम्मीदवार को जरूर मिला। इस आम चुनाव बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने कांग्रेस के पंकज संघवी को 547754 वोटों से हराकर जीत दर्ज की और इस सीट पर बीजेपी का कब्जा कायम रखा। इसके साथ ही इंदौर लोकसभा सीट को 30 साल बाद पुरुष सांसद मिला।और पढ़ें