उत्तर प्रदेश (यूपी) की आगरा लोकसभा निर्वाचन सीट केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गढ़ है। भाजपा ने पिछले तीन चुनावों में लगातार जीत हासिल करते हुए हैट्रिक लगा दी। पिछले चुनावों यानी 2019 में ताज नगरी आगरा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सत्यपाल सिंह बघेल (एसपी सिंह) जीते और सांसद बने। उन्हें कुल 646875 वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार मनोज कुमार सोनी कुल 435329 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वह 211546 वोटों से हार गए। 2019 में आगरा संसदीय क्षेत्र में कुल 1937690 मतदाता थे। कुल वैध वोटों की संख्या 1145323 थी। आगरा लोकसभा निर्वाचन सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था। 1952 से लेकर 1971 तक यहां कांग्रेस लगातार जीती। 1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की लेकिन 1980 और 1984 में फिर कांग्रेस जीती। ये आखिरी बार था जब कांग्रेस आगरा लोकसभा सीट जीती थी। 1989 में जनता पार्टी ने इस सीट फिर से कब्जा किया। लेकिन 1991 में भाजपा के भगवान शंकर रावत ने बाजी मारी और 1998 तक लगातार तीन चुनाव जीते। इसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर कब्जा कर लिया जब उसके उम्मीदवार फिल्म अभिनेता राज बब्बर ने 1999 और फिर 2004 का चुनाव जीता। 2009 में भाजपा ने वापसी की और तब से आगरा लोकसभा सीट भगवा पार्टी के ही पास है। पंक्षी पेठे और ताजमहल के लिए मशहूर आगरा का जातीय समीकरण दिलचस्प है। आगरा को दलित और मुस्लिम वोटरों का गढ़ माना जाता है। दलित वोटर होने के बाद भी यहां से बसपा को कभी फायदा नहीं मिला। आगरा में करीब 3.15 लाख वोटर वैश्य हैं, अनुसूचित जाति के करीब दो लाख 80 हजार वोटर हैं। मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो यहां करीब दो लाख 70 हजार है। वहीं एक लाख 30 हजार बघेल वोटरों की संख्या है।और पढ़ें