उत्तर प्रदेश की प्रतापगढ़ लोकसभा सीट रजवाड़ों के साथ ही आंवला के लिए भी काफी प्रसिद्ध रही है। यह लोकसभा कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां 17 बार हो चुके चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 10 बार फतह मिली है। हालांकि 2014 से यहां बीजेपी का दबदबा रहा है। इस सीट पर बीजेपी ने भगवा झंडा लहराया है। इसके अलावा सपा, अपना दल, जेएस, बीएलडी और जेडी को भी एक-एक बार प्रतापगढ़ से लोकसभा जाने का मौका मिला है। यहां जिले में 85 फीसदी हिन्दुओं की आबादी है जबकि, 14 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर मुस्लिम आबादी है। प्रतापगढ़ में साल 1951 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। तब मुनीश्वरदत्त उपाध्याय कांग्रेस के टिकट पर यहां संसद पहुंचे थे। इसके बाद 1957, 1967,1971, 1980, 1984, 1989, 1996, 1999 और 2009 में कांग्रेस ने ही यहां जीत हासिल की। 1998 और 2019 में यहां बीजेपी को जीत मिली है। 2014 में यह सीट भाजपा-अद प्रत्याशी के खाते में जीत रही। इसके अलावा 1962 में जनसंघ, 1977 में भारतीय लोकदल, 1991 में जनता दल और 2004 में सपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां साक्षरता दर 60.19% है। यह सामान्य श्रेणी की संसद सीट है। इसमें प्रतापगढ़ जिले का हिस्सा शामिल है। प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 339,386 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 19.9% है। प्रतापगढ़ सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 1,608,246 है जबकि, शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 97,211 है। 2019 के संसदीय चुनाव के अनुसार प्रतापगढ़ संसदीय सीट के कुल मतदाता 1705457 थे। 2019 में मतदान प्रतिशत 53.3% था।और पढ़ें