पूर्वांचल का वह जिला, जिसे छोटी काशी भी कहा जाता है ऐतिहासिक विरासत से समृद्ध है। कभी यहां दुनिया की सबसे बड़ी अफीम की फैक्ट्री होती थी। यहीं पर लॉर्ड कार्नवालिस का मकबरा है और यहीं है देश का सबसे बड़ा गांव गहमर। सियासत की बात करें तो कांग्रेस के हर प्रसाद सिंह यहां के पहले सांसद थे। 1967 और 1971 में कम्युनिस्ट पार्टी के सरजू पांडेय ने यहां जीत हासिल की। 1977 में भारतीय लोकदल, 1980 और 1984 में कांग्रेस का परचम लहाराया। 20 साल के बाद 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी ने फिर से यहां से जीत हासिल की। 1996 में मनोज सिन्हा ने यहां कमल खिलाया और भारतीय जनता पार्टी को इस सीट पर पहली जीत दिलाई थी। 1998 के चुनाव में ओम प्रकाश सिंह का खाता खोला, लेकिन 1999 में फिर से मनोज सिन्हा ने वापसी कर ली। हालांकि 2004 और 2009 में सपा फिर वापस आ गई। लेकिन 2014 में एक बार फिर मनोज सिन्हा यहां से सांसद चुने गए। हालांकि 2019 में मनोज सिन्हा को सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो सबसे ज्यादा संख्या यादव वोटर्स की है। इसके बाद दलित और मुस्लिम वोटर्स हैं। अगर यादव, दलित और मुसलमान वोटर्स को मिला दें तो यह आंकड़ा कुल वोटों का करीब आधा है।और पढ़ें