पिछले दो चुनावों को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश (यूपी) का इटावा लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ रहा है। हालांकि 2014 से यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जीतती आ रही है। 2019 में, इटावा संसदीय क्षेत्र में कुल 1757984 मतदाता थे। वैध वोटों की कुल संख्या 1027815 थी। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ. राम शंकर कठेरिया जीते और सांसद बने। उन्हें कुल 522119 वोट हासिल हुए। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कमलेश कुमार कुल 457682 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वे 64437 वोटों से हार गए। इटावा लोकसभा सीट पर सबसे पहला चुनाव 1957 में हुआ था। पहला चुनाव सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया ने जीता था। इसके बाद यहां से कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी और भाजपा ने जीत हासिल की। इटावा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी 1996 में पहला चुनाव जीती थी। इसके बाद सपा ने 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी। 2014 में नरेंद्र मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने सपा के गढ़ में सेंध लगा दी। 2014 में भाजपा के अशोक कुमार दोहरे और 2019 में राम शंकर कठेरिया ने जीत हासिल की। इटावा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलित मतदाता हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है। ओबीसी में लोधी मतदाता सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद यादव, शाक्य और पाल मतदाताओं का नंबर आता है। इटावा लोकसभा सीट कई मायनों में खास है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम कई जगह से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें जीत इटावा से ही मिली थी। उन्होंने 1991 में लोकसभा में इटावा का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्म भी इटावा में ही हुआ था। रघुराज सिंह शाक्य ने 1999 और 2004 के आम चुनावों में समाजवादी पार्टी के टिकट पर दो बार अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित सीट जीती और 2009 में सपा के ही प्रेमदास कठेरिया को जीत मिली। और पढ़ें