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सक्षमता परीक्षा पास करिए या नौकरी छोड़ दीजिए, बिहार के नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका

बिहार के करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने उनकी सक्षमता परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

सक्षमता परीक्षा पास करिए या नौकरी छोड़ दीजिए, बिहार के नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका
Jayesh Jetawatअब्राहम थोमस, हिन्दुस्तान टाइम्स,नई दिल्लीThu, 27 Jun 2024 05:21 PM
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बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि सरकार के नियमों के अनुसार नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देनी होगी। अगर वह नियमों के अनुसार नहीं चलते हैं तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के प्रारंभिक शिक्षक संघों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सक्षमता परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी। इससे पहले अप्रैल में पटना हाईकोर्ट से भी इस तरह की मांग खारिज की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भूयान की वैकेशन बेंच ने गुरुवार को परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ और बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ की याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में संघों की ओर से बिहार शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध जताया। नियमावली के मुताबिक नियोजित शिक्षकों को अगर राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करना है तो उन्हें सक्षमता परीक्षा पास करनी होगी। बता दें कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) की ओर से सक्षमता परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के निर्माण में मदद करते हैं। ऐसे में उन्हें अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। अदालत ने कहा, "हम देशभर और खासकर बिहार के बच्चों के शिक्षा के प्रति गंभीर हैं। अगर कोई शिक्षक नियम के अनुसार नहीं चलना चाहते है तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर कोई शिक्षक बच्चों के हित में सेवा देना चाहते हैं तो उन्हें सक्षमता परीक्षा देनी ही होगी।

दूसरी ओर, बिहार सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि सक्षमता परीक्षा पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा, बीपीएससी टीचरों के समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। हालांकि, जो शिक्षक सक्षमता परीक्षा नहीं देना चाहते हैं, उन्हें सरकार नौकरी से नहीं निकालेगी। 

इससे पहले बिहार के नियोजित शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में सरकार की नई नियमावली को चुनौती दी थी। हालांकि, वहां भी अदालत ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद नियोजित शिक्षकों ने शीर्ष अदालत का रुख किया। 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या-क्या कहा?
नियोजित शिक्षकों की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने गुरुवार को कहा कि अगर सरकार शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए कोई कदम उठा रही है तो उसका समर्थन करना चाहिए। अगर आप इस तरह की परीक्षाओं का सामना नहीं कर सकते तो नौकरी छोड़ देनी चाहिए। नियोजित शिक्षकों को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि शिक्षण एक महान पेशा है। मगर आप लोग अपने वेतन और प्रमोशन में ही रुचि ले रहे हैं। देश में लाखों लोग बेरोजगार हैं। और यहां, आप लोग अपने कौशल को विकसित नहीं करना चाहते हैं। आपको इसे गंभीर लेना चाहिए या फिर इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए।

अदालत ने आगे कहा कि गांवों के स्कूलों की हालत देखिए। हमारे देश के शिक्षा के स्तर पर नजर डालिए। एक पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ शख्स ढंग से छुट्टी का पत्र भी नहीं लिख सकता है। जब सरकार शिक्षकों की सक्षमता को बढ़ाने की कोशिश कर रही है तो आप लोग अदालत में उसे चुनौती देते हैं। सभी लोग निजी और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा सकते हैं।

नियोजित शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि बिहार सरकार ने पंचायत शिक्षक नियमावली 2012 के तहत उनकी परीक्षा ली थी। इसके बाद ही उनकी सेवा स्थायी की गई थी। ऐसे में उनकी फिर से परीक्षा क्यों ली जा रही है। बता दें कि इन शिक्षकों को बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक सेवा नियमावली 2006 के तहत नियुक्त किया गया था। इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जो 2006 से पहले शिक्षा मित्र रहे और बाद में नियोजित टीचर बन गए।