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केजरीवाल की जमानत पर HC के फैसले से असहमत AAP, बताया क्या होगा अगला कदम?

जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि निचली अदालत ईडी द्वारा रखी गई सामग्री की समीक्षा करने में विफल रही और AAP नेता की जमानत याचिका पर निर्णय लेते समय उसने अपने विवेक का उपयोग नहीं किया।

केजरीवाल की जमानत पर HC के फैसले से असहमत AAP, बताया क्या होगा अगला कदम?
Sourabh JainANI,नई दिल्लीTue, 25 Jun 2024 04:12 PM
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दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत न देते हुए उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने ईडी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उसने जमानत आदेश को निलंबित करने की मांग की थी। आम आदमी पार्टी ने इस मामले में अदालत के फैसले से असहमति जताते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि 'हम हाईकोर्ट के फैसले से असहमत हैं। हम इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।' पार्टी ने कहा कि जमानत पर आदेश को इस तरह से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने भी कल (सोमवार को) यही बात कही है। 

इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।

जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि निचली अदालत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत सामग्री की समीक्षा करने में विफल रही और आम आदमी पार्टी के नेता की जमानत याचिका पर निर्णय लेते समय उसने अपने विवेक का उपयोग नहीं किया।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि निचली अदालत को एजेंसी को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था। जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत से मिली जमानत पर रोक लगा दी। 

हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, 'यह पूरा शराब घोटाला फर्जी है और भाजपा कार्यालय में इसकी पटकथा लिखी गई है। जब आप ट्रायल कोर्ट का आदेश पढ़ते हैं, तो उसमें कुछ अप्रासंगिक दस्तावेजों को छोड़कर सभी दस्तावेजों को संबोधित किया गया है। उन्होंने (ट्रायल कोर्ट) साफ लिखा है कि अरविंद केजरीवाल को इस तथाकथित शराब घोटाले से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं है। दो साल की जांच के बाद भी चवन्नी की रिकवरी भी नहीं हुई है और यह बात भी ट्रायल कोर्ट के आदेश में साफ लिखी है। वहीं हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को देखे बिना ही स्थगन आदेश दे दिया। हम इस फैसले से असहमत हैं, हमारी कानूनी टीम इस पर विचार कर रही है और जो भी उचित कदम होगा जरूर उठाएगी।'

इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था। ईडी ने अगले दिन हाई कोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश विकृत, एकतरफा, गलत पक्ष की तरफ और अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी। पूर्व निर्धारत शर्त के तहत 2 जून को सरेंडर करके केजरीवाल को दोबारा जेल जाना पड़ा। आरोप है कि दिल्ली के लिए 2021-22 में बनाई गई आबकारी नीति में शराब कारोबारियों को अवैध तरीके से फायदा पहुंचाकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने रिश्वत ली और इसका इस्तेमाल गोवा चुनाव में भी किया गया।

2022 में इस आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था, जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने इसके निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।