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अकाली दल में फूट का अमृतपाल सिंह कनेक्शन, क्यों सुखबीर पर छाए हैं संकट के बादल

अकाली दल के 60 नेताओं ने सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन लोगों की मांग है कि सुखबीर बादल को अकाली दल का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए क्योंकि उनकी लीडरशिप में करारी हार मिली है।

अकाली दल में फूट का अमृतपाल सिंह कनेक्शन, क्यों सुखबीर पर छाए हैं संकट के बादल
Surya Prakashलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 26 Jun 2024 01:40 PM
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कभी पंजाब की सत्ताधारी पार्टी रही अकाली दल इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी का बुरा हाल हुआ था और दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल समेत कई नामी चेहरे हार गए थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी उसे एक ही सीट मिल सकी है। इसके बाद अब बगावत के सुर हैं और 60 नेताओं ने सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन लोगों की मांग है कि सुखबीर बादल को अकाली दल का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए क्योंकि उनकी लीडरशिप में करारी हार मिली है। हालत यह है कि सुखबीर बादल के करीबी कहे जाने वाले बरजिंदर सिंह हमदर्द भी अब बागी समूह का हिस्सा हैं।

इसके अलावा अकाली दल के सीनियर नेता और विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया भी पूरे मामले पर चुप हैं। मजीठिया की चुप्पी को लेकर भी कयास लग रहे हैं कि वह शायद बादल से खुश नहीं हैं। अब तक उनका बयान नहीं आया है, लेकिन हर किसी की नजर इस बात पर है मजीठिया का अगला कदम क्या होगा और वह किसी गुट के साथ रहेंगे। लोकसभा चुनाव में अकाली दल ने सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक पर ही उसे जीत मिली थी। वहीं 10 सीटों पर तो उसकी जमानत ही जब्त हो गई। ऐसे में विधानसभा चुनाव के बाद से ही पनप रहा गुस्सा अब अकाली दल में फूट पड़ा है। 

अमृतपाल के बाद अब उसका करीबी खालिस्तानी भी लड़ेगा चुनाव,जेल में है साथ

इसकी शुरुआत विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने की थी। उन्होंने पार्टी के सभी आयोजनों से दूरी बनाना शुरू कर दिया था। इसके बाद सुखबीर बादल के राजनीतिक सचिव रहे चरणजीत सिंह बराड़ ने भी नेतृत्व पर हमला बोला था। बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर उनका विवाद बादल के करीबी परमबंस सिंह बंटी रोमाना से चल रहा था। दोनों सोशल मीडिया पर खुलकर हमले कर रहे थे। अकाली दल और पंजाब की राजनीति को समझने वाले कुछ लोगों का कहना है कि इस विवाद की जड़ अमृतपाल सिंह का खडूर साहिब लोकसभा सीट से जीतना भी है।

अमृतपाल के अलावा सरबजीत की जीत भी दे रही टेंशन

इसके अलावा फरीदकोट लोकसभा सीट से सरबजीत सिंह खालसा की जीत ने भी अकाली दल में माहौल खराब किया है। अकाली दल के नेताओं को लगता है कि पार्टी में पंथिक वोटरों का भरोसा कम हुआ है। यही वजह है कि उन्होंने खालिस्तानी विचार रखने वाले दो निर्दलियों तक को जिता दिया, लेकिन अकाली की झोली में एक ही सीट आई। ऐसे नेताओं को लगता है कि अब अकाली दल पर सिख वोटरों का भरोसा पहले जैसा नहीं रहा है। वहीं सुखबीर बादल खेमा अब तक अपने खिलाफ उठे गुस्से को पचा नहीं पाया है और बगावत में भाजपा की साजिश बता रहा है।