कहा जाता है कि साल 10 हिजरी की बात है....पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद आख़िरी हज से लौट रहे थे....मक्के से 13 मील की दूरी तय हो चुकी थी...क़ाफ़िला जुहफ़ा के ग़दीरे ख़ुम पर पहुंचा...ग़दीर अरबी में तालाब को कहते हैं....पैग़म्बरे आज़म ने ऐलान किया कि यहीं ठहरो....जो आगे चले गए हैं उन्हें वापस बुलाओ और जो पीछे हैं उनके आने का इंतेजार करो.बताया जाता है कि जब सब आ चुके तो 18 ज़िलहिज्जा दिन जुमेरात तक़रीबन सवा लाख हाजियों के बीच पै़ग़म्बरे अकरम ने ख़ुत्बा देते हुए हज़रत अली का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर उठाया और कहा...मन कुनतुम मौला फहज़ा अलीउन मौला... जिस जिस का मैं मौला हूं उसके उसके ये अली मौला हैं...अली ही मेरा वसी और वली...
सांसद पप्पू यादव ने ली शपथ