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अंदर से बंद था मुख्य दरवाजा, पुलिस ने बताया बिना जले दिल्ली में कैसे गई 4 की जान?

पुलिस के मुताबिक लोहे का मुख्य दरवाजा आग वाले क्षेत्र के करीब था जो भयानक गर्म हो गया और अंदर फंसे लोग समय पर दरवाजा नहीं खोल पाए। वेंटिलेशन नहीं होने के कारण दम घुटने से उनकी मौत हो गई।

अंदर से बंद था मुख्य दरवाजा, पुलिस ने बताया बिना जले दिल्ली में कैसे गई 4 की जान?
Sourabh JainPTI,नई दिल्लीTue, 25 Jun 2024 10:28 PM
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दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में मंगलवार को लगी भीषण आग में चार लोगों की जान चली गई। इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस और दिल्ली अग्निशमन सेवा के कर्मियों ने बताया कि घटना के बाद राहत और बचाव अभियान में देरी हुई, क्योंकि लोहे का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था और उसे तोड़कर जाना पड़ा। जिससे काफी समय बर्बाद हो गया।

फायर फायटर्स अंदर से बंद उस लोहे के दरवाजे को काटकर अन्दर गए, इसके बाद उन्होंने परिवार के चार सदस्यों को बचाते हुए बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल भेजा, हालांकि किसी को भी बचाया नहीं जा सका। अधिकारियों के मुताबिक बचाव दल के अंदर पहुंचने तक कमरे पूरी तरह से इन्वर्टर और सोफे की बैटरियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से भर गए थे। ऐसे में वेंटिलेशन नहीं होने के कारण दम घुटने से चारों की मौत हो गई।

घटना के बारे में दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार तड़के द्वारका के प्रेम नगर इलाके में दो मंजिला घर की पहली मंजिल पर आग लग गई थी। अग्निशमन विभाग को सुबह करीब 3.30 बजे इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद दो दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया।

उन्होंने बताया कि यह आग इन्वर्टर के कारण लगी और दो मंजिला इमारत की पहली मंजिल पर पास में रखे सोफे तक फैल गई, जिससे चारों पीड़ित धुएं में सांस लेने लगे। अधिकारी ने बताया कि आग पर कुछ ही मिनटों में काबू पा लिया गया, लेकिन घर के अंदर बहुत धुआं था।

पुलिस ने बताया कि पीड़ितों को राव तुलाराम मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान हीरा सिंह कक्कड़ (48), उनकी पत्नी नीतू (40) और बेटों रॉबिन (22) व लक्ष्य (21) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि कक्कड़ की मां सीता देवी जो ग्राउंड फ्लोर पर सो रही थीं, वह सुरक्षित हैं। पड़ोसियों ने बताया कि परिवार का बड़ा बेटा रॉबिन दिव्यांग था।

उधर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'आग की सूचना मिलने के बाद छावला पुलिस स्टेशन से हमारी टीम मौके पर पहुंची। मौके पर पहुंचने पर पुलिस ने पाया कि मुख्य लोहे का गेट अंदर से बंद था। जिसके बाद अग्निशमन कर्मियों की मदद से गेट को तोड़ा गया और घायलों को बाहर निकाला गया।' 

नीतू के भतीजे हरीश चोपड़ा ने बताया, 'हमें सुबह करीब 4 बजे आग की सूचना मिली और हम घर की ओर दौड़े।' चोपड़ा ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, 'मुझे अग्निशामक कर्मियों से पता चला कि मेरी मौसी अपने बेटे लक्ष्य के साथ बाथरूम की ओर भागीं और अपनी जान बचाने के लिए गीले तौलिये से अपना चेहरा ढक लिया।' उन्होंने बताया कि दरवाजा तोड़ने के बाद देखा गया कि कमरे पूरी तरह से इन्वर्टर और सोफे की बैटरियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से भरे हुए थे। 

चोपड़ा ने बताया, 'लोहे का मुख्य दरवाजा आग वाले क्षेत्र के करीब था जो गर्म हो गया और वे समय पर दरवाजा नहीं खोल पाए। वेंटिलेशन नहीं होने के कारण दम घुटने से उनकी मौत हो गई।' पुलिस ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवा दिया गया है। संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है।